दिल्ली बना खूँखार कुत्तों का घर

दिल्ली के कालकाजी इलाके में रहने वाला रमेश रोजाना की तरह सुबह दूध लेने जा रहा था। दूध की दुकान घर से 15 मिनट की दूरी पर थी। इस वजह से रमेश जल्दी-जल्दी चल रहा था। तभी उसको एक कुत्ते ने पीछे से आ कर काट लिया।

दिल्ली में कुत्ते के काटने का हादसा कोई नया नहीं हैं। दिल्ली में हर साल हजारों में कुत्ते के काटने के मामले सामने आते हैं। इस साल जुलाई में ही 44,498+ का आंकड़ा दर्ज हो गया था। नवभारत टाइम्स के अनुसार कुत्ते के काटने के रोजाना 800 से 900 मामले अस्पताल में आते हैं। ये तो वो मामले है जो अस्पताल में आ जाते हैं। पता नहीं ऐसे कितने ही और मामले होंगे जो देशी इलाज़ के वजह से अस्पताल में दर्ज नहीं होते हैं।

दिल्ली में कुत्ते का काटना कोई आम बात नहीं रही है। यहाँ हर गली में आवारा कुत्ते घूमते मिल जाएँगे। कुत्तों के काटने के मामलों का लगातार बढ़ने के कई कारण है जैसे -

1. कुत्तों की संख्या ज्यादा होने के वजह से सब कुत्तों को भोजन नहीं मिल पाना। ऐसे में कुत्ते कूड़े में खाना ढूँढेंगे। और सड़कों पर इधर-उधर भटकेंगे।

2. अधिक जनसंख्या के वजह से पिल्लों की संख्या भी बढ़ रही है। एक कुत्तिया एक वर्ष में 20 पिल्लों तक को जन्म दे सकती है।

3. आक्रमक कुत्तों को भी एक कारण माना जा रहा है। कुछ विशषज्ञों का मानना है कि कुत्तों में आक्रमक व्यवहार बढ़ रहा है। वैसे तो ये विवादित बात है।

2001 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था, 'जिसमें आवारा कुत्तों की नसबंदी करके उनकी आबादी को नियंत्रित करना नागरिक एजेंसियों की जिम्मेदारी है।' इच्छाशक्ति और संसाधनों की कमी के वजह से अधिकांश नागरिक एजेंसियां ​​टीकाकरण और नसबंदी अभियान को प्रभावी ढंग से शुरू करने में विफल रहती हैं।

घरों से दूर स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाना महत्वपूर्ण है। कुत्तों का व्यवहार होता है कि भोजन उपलब्ध कराने वाले इंसान की सुरक्षा करना। जब कोई आवारा कुत्ते को खाना खिला रहा है। तब वो उसके साथ पालतू की तरह व्यवहार कर रहा है। इस वजह से जब वो सड़कों पर होते हैं तब वो इस तरह की ही प्रतिक्रिया करते हैं।

ऐसे में वो किसी भी क़ीमत पर उस घर की रक्षा करेंगे। इससे कुत्तों के दूसरे समूहों या यहाँ तक ​​​​कि मनुष्यों के साथ विवाद हो सकता है जो वहाँ से गुज़र रहे हैं।

कावेरी राणा भारद्वाज ने कहा कि "कुत्ते इस अंतर को नहीं समझते हैं, या तो वे पालतू हैं या आवारा हैं या सामुदायिक पालतू जानवर हैं।" इस समस्या को कम करने के लिए समुदायिक पालतू कुत्तों की देखभाल इलाके के कई निवासी को करनी चाहिए। और उन्हें घरों से दूर सही जगह पर खाना खिलाया जाना चाहिए, जिससे कुत्तों के काटने के मामले थोड़े कम हो सकते हैं।

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