'आठ आना': हास्य से साहित्य की मुलाक़ात

मुझे हमेशा से सिनेमा देखने पसन्द है और सिनेमा की शुरुआती शैली 'लघु फ़िल्म' मेरी पसन्दीदा है। लघु फ़िल्म में अलग ही जादू होता है। छोटे से समय मे बहुत सारी बाते कह जाना, बिल्कुल किसी कविता की तरह; एक ही कविता का अर्थ हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकता है।❤️

क़ासिद ऑरिजिनल यूट्यूब चैनल से।

आठ आना, प्रज्ञान चतुर्वेदी और दिव्यांशु कपूर द्वारा बनाई गई एक हास्य लघु फ़िल्म है जो अंत आते-आते एक खूबसूरत सा सन्देश दे जाती है। मुख्य क़िरदार में आपको रघुबीर यादव, पुरुरवा राव और अपर्णा उपाध्याय देखने को मिलेंगे। जो 15 मिनट के थोड़े से समय में ही अपना-अपना जादू दर्शकों पर चला जाते हैं। अगर आप साहित्य प्रेमी हैं तो ये लघु फ़िल्म आपके लिए ही है। कहानी 1980 के समय की है। जहाँ स्कूल के दो अध्यापक में 'एक कविता का लेखकों कौन है!' इस बात पर अनबन हो जाती है। अगर किसी को आठ आना देखनी हो तो वो यूट्यूब पर बांद्रा फ़िल्म फेस्टिवल चैनल पर मुफ़्ते में मौज़ूद है।❤️

रेटिंग- 4.5/5

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