इरफ़ान अपने पीछे जो विरासत छोड़ गए हैं उसे बचाए रखना और सराहना ही अब हमारे हिस्से
इरफ़ान ने कभी भी एक्टर बनना नहीं चुना, एक्टिंग ने उनको चुना था। वो तो क्रिकेटर बनने निकले थे पर देर सवेर वो NSD जा पहुँचे और वहीं से उनके एक्टर बनने का सफ़र शुरू हुआ।
इरफ़ान ने कभी भी एक्टर बनना नहीं चुना, एक्टिंग ने उनको चुना था। वो तो क्रिकेटर बनने निकले थे पर देर सवेर वो NSD जा पहुँचे और वहीं से उनके एक्टर बनने का सफ़र शुरू हुआ।
आज के समाज में डिग्री कितनी ज़रूरी होती है इस विषय को ले कर इस फ़िल्म को बनाया गया है। फ़िल्म कॉमेडी के ज़रिए काफ़ी ज़रूरी बाते कह जाती है। फ़िल्म में दिखाई गई कुछ चीज़े दिक्कत वाली थी, जैसे डिग्री का अत्यधिक महत्व, हल्की प्रेम कहानी, अवास्तविक मिलने वाली तुरन्त सफलता आदि। पर फ़िल्म में दिखाई गई ये चीज़ें वास्तविक हैं, अगर आपके पास डिग्री नहीं होगी तो आपको किसी भी कंपनी में अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी। कॉलेज में कूल बन कर आप लड़की तो पा लेंगे पर जब जीवन भर का साथ निभाना हो तो कूल बनना काम नहीं आता, ज़िन्दगी में आर्थिक स्थिरता चाहिए होती है।
The Legend of Vox Machina is an animated fantasy series where every character has a unique background story. These stories shape their personalities, much like real-life experiences shape us. The series teaches many valuable lessons, such as:
फ़िल्म मेडडॉक सुपरनेचुरल यूनिवर्स की स्त्री, स्त्री-2, भेड़िया, रूही के हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स में ही शामिल है। फ़िल्म की कहानी महाराष्ट्र के ब्रह्मराक्षस की दन्तकथा 'मुंज्या' पर आधारित है। जब किसी बच्चे के मुंडन के दस दिन के अन्दर उस बच्चे की मौत हो जाए और वो अपनी अतृप्त इच्छाओं के कारण भूत बन जाता है, तो उसे मुंज्या कहते हैं।
शादी का सीजन चल रहा है। जहाँ देखो वहाँ शादी हो रही हैं और खुशी का माहौल है। पर इस खुशी के माहौल में सबसे ज्यादा परेशान दुल्हन का परिवार होता है। इसके काफी सारे कारण होते हैं, पर सबसे प्रमुख कारण दहेज है। वैसे तो भारत में दहेज लेना-देना 1961 में ही गैर-कानूनी हो गया था। फिर भी ये रिवाज़ वैसा ही चलते आ रहा है।
मुझे हमेशा से सिनेमा देखने पसन्द है और सिनेमा की शुरुआती शैली 'लघु फ़िल्म' मेरी पसन्दीदा है। लघु फ़िल्म में अलग ही जादू होता है। छोटे से समय मे बहुत सारी बाते कह जाना, बिल्कुल किसी कविता की तरह; एक ही कविता का अर्थ हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकता है।❤️
कुलदीप (बदल हुआ नाम) दिल्ली में स्नातकोत्तर में पढ़ रहे हैं। जो रोज़ाना दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) से सफ़र करते हैं। एक दिन कंडक्टर द्वारा टिकट लेने के लिए बोलने पर वो खुद को LGBTQ समुदाय का सदस्य बता कर टिकट लेने से इनकार कर देते हैं। सामाजिक परिभाषा के आधार पर कुलदीप देखने में एक पुरुष लगते हैं। कंडक्टर कुलदीप का जवाब सुन कर अचंभित हो जाता है। और फिर इस बात को मज़ाक में उड़ा देते है। बस में बैठे बाकी लोग भी उनके जवाब से अचंभित थे। फिर उनको भी लगा कि कुलदीप मज़ाक कर रहा है।
27 फ़रवरी को महिला भारतीय क्रिकेट टीम को आईसीसी (इंटरनेशनल क्रिकेट कॉउन्सिल) द्वारा टी20 विश्व कप 2024 में डायरेक्ट एंट्री दी गई। विश्व कप में एंट्री मिलने के बाद बड़ा सवाल सामने ये है कि टीम में किस-किस प्लेयर को जगा मिलेगी। वीमेन प्रीमियर लीग(डब्ल्यूपीएल) 2024 में बहुत से भारतीय प्लेयर्स ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। जिसके चलते टीम चुनना सेलेक्टर्स के लिए थोड़ा आसान हो जाएगा।
विकास के बार मे जब भी चर्चा होती है तब हर देश को कुछ गिने-चुने पैमानों में देखा जाता है। जैसे जीडीपी, तकनीक और आधारभूत संरचना। पर इसी बीच कूड़े की समस्या को हर कोई नजरअंदाज कर देता है। कूड़ा पूरा विश्व में एक गम्भीर समस्या है। और हम जब भारत जैसे देश में इस समस्या पर नज़र डालते है तब यहाँ तो और बुरा हाल है।
मैंने हीर-राँझा का नाम बहुत सुना पर कभी पढ़ा या उनके बारे में जानने की जिज्ञासा नहीं हुई, मुझको अमृता-इमरोज़-साहिर इन तीन शख़्सियत ने प्यार के बहुत-से रंग दिखाए हैं। अमृता का अमृत सा व्यक्तित्व, इमरोज़ का अनजान सफ़र और साहिर का अनकहा प्रेम। साहिर और अमृता बेशक़ दो अलग प्रेम पंछी हैं पर अमृता और इमरोज़ कभी अलग नहीं हो सकते, जहाँ अमृता वहाँ इमरोज़ का होना अनिवार्य है और इमरोज़ तो हमेशा से ही अमृता के ही थे। अब इस किताब की बात करें तो उमा त्रिलोक वो लेखिका हैं जिन्होंने अमृता-इमरोज़ को बहुत क़रीब से जाना और समझा है। अमृता के अंतिम समय में इमरोज़ के अलावा जो लोग उनके साथ थे उनमें से एक उमा त्रिलोक भी हैं। किताब को उमा त्रिलोक ने बहुत ख़ूबसूरती से लिखा है। उन्होंने अमृता-इमरोज़ के साथ बिताए अपने लगभग हर पल को इस किताब के माध्यम से पाठकों तक पहुँचाया है। भाषा से लेकर कविता को दर्शाना और अमृता और इमरोज़ से हुए संवाद को पाठकों को बख़ूबी से परोसा गया है। पंजाबी कविता को उन्हीं शब्दों और भाव के साथ उनके हिन्दी अर्थ को भी उकेरा गया है। अगर आप अमृता-इमरोज़ को समझना या जानना चाह रहे तो ये किताब ज़रूर पढ़ें।
बीते दिन यानी 1 अप्रैल को आईपीएल के 14वें मैच में राजस्थान रॉयल्स ने मुम्बई इंडियन्सको 6 विकेट से हराया। मुम्बई इस आईपीएल की दूसरी टीम है जो अपने होम ग्राउंड में मैच हारी हो। मुम्बई ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 126 रन बनाए थे। जिसको राजस्थान ने 15.3 ओवर में ही चेस कर लिया। मुम्बई से सर्वाधिक रन कप्तान हार्दिक पांड्या ने 21 गेंद में 34 रन बनाए। तो राजस्थान से एक बार फिर रियान पराग ने अर्धशतक जड़ा।
बॉलीवुड में न जाने कितने गायक-अभिनेता आएँ और गए पर कभी किशोर कुमार जैसे कोई नहीं आया, जिनको एक तरफ़ जनता द्वारा ख़ूब प्रेम मिला तो वहीं दूसरी तरफ़ उनके साथ काम करने वाले लोग उनकी आदतों से परेशान होते रहते थे। वो कब क्या बोल या कर जाएँ कोई नहीं जानता। एक अच्छे इन्सान होने के साथ-साथ वो बहुत मज़ेदार शख़्शियत भी हैं।
किसी आम इन्सान को देश के राष्ट्रपति को आशीर्वाद देते देखा है? अगर नहीं! तो 2019 का वो पल याद कीजिए जब हमारे तत्काल राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को 107 साल की महिला ने पद्मश्री लेते वक़्त आशीर्वाद दे दिया। ये महिला वैसे तो बहुत आम हैं पर जो काम इन्होंने अपनी ज़िन्दगी में किए हैं, उसके लिए भारत ही नहीं पूरा विश्व इनका आभारी है।
कुछ समय पहले 13 दिसम्बर को भारतीय मूल की ‘गरिमा अरोड़ा’ को उनके रेस्टोरेंट ‘गा’ के लिए दूसरा मिशेलीन स्टार मिला जो पाक उद्योग में किसी भी शेफ़ के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके साथ ही वो ऐसा करने वाली भारत की पहली और विश्व की दूसरी महिला बन गई हैं। गरिमा को 2017 में पहला ‘मिशेलीन स्टार’ मिला था जिसके बाद वो ये अवॉर्ड पाने वाली विश्व की गिनी-चुनी एक दर्जन महिलाओं में शुमार हो गई थीं।.
17 साल से इंतज़ार कर रहे फैन्स में खुशी उमड़ उठी जब रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु ने दिल्ली कैपिटल को 8 विकेट से फाइनल हरा कर वीमेन प्रीमियर लीग 2024 (डब्ल्यूपीएल) का खिताब अपने नाम किया। जो काम बेंगलुरु की पुरुष टीम 17 साल में नहीं कर सकी वो दूसरे ही साल में महिला टीम ने कर दिखाया।
पिछले कुछ सालों से न्यू ईयर पर 'सफ़दरजंग का मकबरा' जाना एक रिवाज़ सा बन गया है। और ये तस्वीर उसी रिवाज़ को पूरा करते हुए जनवरी के शुरुआती दिनों की है। सफ़दरजंग का मकबरा दिल्ली की सबसे ख़ूबसूरत जगह तो बेशक नहीं है पर सफ़दरजंग की लाल बालू से बनी पुरानी दीवारों और इसके माहौल में एक सुकून है। शायद इसका कारण कम लोगों की मौजूदगी, शान्ति और एकान्त का होना है। जो दिल्ली में गिनी-चुनी जगहों पर ही है।
ओमप्रकाश वाल्मीकि के बारे में मैंने स्नातक के समय सुना था कि 'वो एक ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्होंने कम उम्र में ही 'जूठन' नाम से अपनी आत्मकथा लिख दी थी।' जब मैंने इन्हें पढ़ा था, तब मुझे बिल्कुल भी अनुमान नहीं था कि ये दलित के बारे में लिखते हैं। जैसा इन्होंने अपनी रचनाओं में लिखा है, वो समाज का दर्पण है।
3.5/5 रेटिंग
दिल्ली के कालकाजी इलाके में रहने वाला रमेश रोजाना की तरह सुबह दूध लेने जा रहा था। दूध की दुकान घर से 15 मिनट की दूरी पर थी। इस वजह से रमेश जल्दी-जल्दी चल रहा था। तभी उसको एक कुत्ते ने पीछे से आ कर काट लिया।